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मेरे पास प्रेम नारंगी था और देह बैंजनी

4.5
791

लगता है कभी कभी बदल गयी हूँ मैं मेरे अन्दर की औरत ...... उंहूं....कुछ और मत समझना हकीकत के आइनों में नज़र नहीं आयेंगे जवाब और जो लिखा होगा वो पढ़ नहीं पाओगे तुम अब जरूरी तो नहीं न हर लिपि की जानकारी ...

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लेखक के बारे में

मेरा परिचय नाम: वन्दना गुप्ता जन्म तिथि : 8-6-1967 स्नातक : कामर्स ( दिल्ली यूनिवर्सिटी , भारती कॉलेज ) डिप्लोमा : कम्प्यूटर मेल : [email protected] विधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, समीक्षा, लेख कविता संग्रह : 1) “ बदलती सोच के नए अर्थ” (हिंदी अकादमी दिल्ली के सौजन्य से) 2) प्रश्नचिन्ह...आखिर क्यों ?, 3) कृष्ण से संवाद, 4) गिद्ध गिद्दा कर रहे हैं 5) भावरस माल्यम, 6) बहुत नचाया यार मेरा, 7) प्रेम नारंगी देह बैंजनी कहानी संग्रह : “बुरी औरत हूँ मैं” जनवरी 2017 उपन्यास : “अँधेरे का मध्य बिंदु” जनवरी 2016 “शिकन के शहर में शरारत” मार्च 2019 समीक्षा संग्रह :1) “सुधा ओम ढींगरा – रचनात्मक दिशाएं” 2) “अपने समय से संवाद” – (केन्द्रीय हिंदी निदेशालय के सौजन्य से प्रकाशित ) इ - कहानी संग्रह : “अमर प्रेम व अन्य कहानियाँ” जनवरी 2016 नॉटनल पर इ – कविता संग्रह : “ये बेहया बेशर्म औरतों का ज़माना है” स्टोरी मिरर ऑनलाइन पोर्टल पर साझा कहानी संग्रह : 1) अंतिम पड़ाव 2) कितने गुलमोहर प्रकाशित साझा कविता संग्रह : 17 साझा संग्रहों में कवितायें प्रकाशित प्रकाशित साझा पुस्तकें : 9 साझा संग्रहों में आलेख, समीक्षा, व्यंग्य आदि प्रकाशित प्रकाशित रचनायें : सभी प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं तथा वैब माध्यमों आदि पर कहानी , कविता , समीक्षा और आलेख प्रकाशित कविता कोष, हिंदी समय, भारतकोश पर कवितायेँ सम्मिलित आल इंडिया रेडियो पर कई बार कविता पाठ सम्मान : शोभना काव्य सृजन सम्मान – 2012 "हिन्दुस्तानी भाषा साहित्य समीक्षा सम्मान"- 2015 अनुवाद : अंग्रेजी, सिन्धी , पंजाबी और नेपाली में कविताओं का अनुवाद तीन ब्लॉग : ज़िन्दगी एक खामोश सफ़र , ज़ख्म जो फूलों ने दिए , एक प्रयास मेरी किताबें पढने के लिए यहाँ से संपर्क कर सकते हैं : वंदना गुप्ता का पहला उपन्यास अंधेरे का मध्य बिन्दु बिक्री के लिए ऑनलाइन उपलब्ध है.... http://www.amazon.in/gp/product/9385296256… http://www.hindibook.com/index.php?p=sr प्रेम नारंगी देह बैंजनी https://www.amazon.in/PREM-NARANGI-BAINJANI-VANDANA-GUPTA/dp/B07PN6HSZB/ref=sr_1_1?keywords=prem narangi deh bainjani by vandana gupta शिकन के शहर में शरारत https://www.amazon.in/SHIKAN-KE-SHEHER-MEIN-SHARARAT/dp/B07PN6C4Q8/ref=sr_1_16?crid=1PCIG2PQ8A3HW कविता संग्रह 'गिद्ध गिद्दा कर रहे हैं' अब अमेज़न पर भी उपलब्ध है..... https://www.amazon.in/dp/B079X11XN4 जो अमेज़न से मंगवाना चाहें उनके लिए लिंक दे दिया है क्योंकि बहुत से लोग कहते हैं हमें अमेज़न का लिंक दो . लेकिन जिन्हें कीमत ज्यादा लगे तो प्रकाशक Niraj Sharma जी से संपर्क कर सिर्फ 200रु की कीमत पर प्राप्त कर सकते हैं ......उनका नंबर है ....8630479331 , 9837244343 कहानी संग्रह : बुरी औरत हूँ मैं - APN Publications प्रकाशक निर्भय कुमार - M : 8766370387 http://www.amazon.in/BURI-AURAT-MAIN-ब-र-औरत/dp/9385296523/ref=sr_1_3?ie=UTF8

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    उपासना सियाग
    11 अक्टूबर 2015
    मर्मस्पर्शी रचना। 
  • author
    Anup Kumar
    18 अप्रैल 2020
    वंदना जी की कविता"मेरे पास प्रेम नारंगी था और देह बैंजनी"पढा.इसके पूर्व भी इनकी कुछ कविता पढ़ी थी.इनकी कविता नारी प्रधान पर आधारित होती है.कविता के माध्यम से कवियत्री त्जी ने प्रेम की परिभाषा का उल्लेख बड़ा ही सरल रूप से की है.सच्चा प्यार हमेशा रहता है,मरने के बाद भी,सच्चे प्रेम की महान कहानी और प्रेमियों की बलिदान आज भी पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए जारी है. दूसरा झूठा प्यार कभी भी खत्म हो सकता है और चंद लम्हों मे भूला जा सकता है,लकिन सच्चे प्यार को चाहकर भी भुलाया नही जा सकता. प्यार और प्रेम शब्द दोनो की परिभाषा एक ही है क्योंकि दोनो शब्द एक दूसरे के समानार्थी प्रतीक तो होते है ,लेकिन वास्तव कमाऐ भाव भिन्न है.हर इंसान को अपने जीवन मे किसी न किसी से प्यार जरूर होता है.सबसे मजेदार बात यह होता है कि आपको प्यार कब कैसे और कहाँहो जाता हैं, आप खुद भी नहीं जान पाते. प्यार या प्रेम एक एहसास है जो दिमाग से नही दिल से होता है.प्रेम के बिना जिंदगी नीरस,फालतू, बकवास या आधी-अधूरी लगने लगती है.कविता की कुछ पंत्तियाँ दिल को छू जाती है..... 1.उतरती धूप मे नहीं......... वहाँ ये तो होना ही था. 2,मेरे पास प्रेम नारंगी........... आज भी मै.......। मेरी ही तरह. मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं...... शेष फिर कभी... अनुप कुमार. वन विभाग, राँची.8789359681..
  • author
    प्रवेश सोनी
    17 अक्टूबर 2015
    बहुत ही सुंदर रचना है |प्रेम नारंगी और देह बैजनी....शब्दों में कश्मता है पूरी तरह से ओनी बात कहने की | शुभकामनाये 
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    उपासना सियाग
    11 अक्टूबर 2015
    मर्मस्पर्शी रचना। 
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    Anup Kumar
    18 अप्रैल 2020
    वंदना जी की कविता"मेरे पास प्रेम नारंगी था और देह बैंजनी"पढा.इसके पूर्व भी इनकी कुछ कविता पढ़ी थी.इनकी कविता नारी प्रधान पर आधारित होती है.कविता के माध्यम से कवियत्री त्जी ने प्रेम की परिभाषा का उल्लेख बड़ा ही सरल रूप से की है.सच्चा प्यार हमेशा रहता है,मरने के बाद भी,सच्चे प्रेम की महान कहानी और प्रेमियों की बलिदान आज भी पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए जारी है. दूसरा झूठा प्यार कभी भी खत्म हो सकता है और चंद लम्हों मे भूला जा सकता है,लकिन सच्चे प्यार को चाहकर भी भुलाया नही जा सकता. प्यार और प्रेम शब्द दोनो की परिभाषा एक ही है क्योंकि दोनो शब्द एक दूसरे के समानार्थी प्रतीक तो होते है ,लेकिन वास्तव कमाऐ भाव भिन्न है.हर इंसान को अपने जीवन मे किसी न किसी से प्यार जरूर होता है.सबसे मजेदार बात यह होता है कि आपको प्यार कब कैसे और कहाँहो जाता हैं, आप खुद भी नहीं जान पाते. प्यार या प्रेम एक एहसास है जो दिमाग से नही दिल से होता है.प्रेम के बिना जिंदगी नीरस,फालतू, बकवास या आधी-अधूरी लगने लगती है.कविता की कुछ पंत्तियाँ दिल को छू जाती है..... 1.उतरती धूप मे नहीं......... वहाँ ये तो होना ही था. 2,मेरे पास प्रेम नारंगी........... आज भी मै.......। मेरी ही तरह. मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं...... शेष फिर कभी... अनुप कुमार. वन विभाग, राँची.8789359681..
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    प्रवेश सोनी
    17 अक्टूबर 2015
    बहुत ही सुंदर रचना है |प्रेम नारंगी और देह बैजनी....शब्दों में कश्मता है पूरी तरह से ओनी बात कहने की | शुभकामनाये