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महफ़िल में होकर भी तन्हा से बैठे है अपनों की भीड़ में अनजान से बैठे है देखते है जिधर भी पलके उठाके तुम ही तुम नजर आते हो इसलिए अब तो नजरें झुकाए बैठे है ...