अपने हाथ में चाय का कप लेकर घर की बालकनी से मैं बारिश की बूंदों को आसमान से नीचे गिरता हुआ देख रहा था।क्या ये बारिश की बूंदों की तरह हम भी एक साथ कई जगह हो सकते है? सोच रहा था क्या हो गयी है ज़िंदगी ...
मैं बारिशो में बादलों के बीच झांकते सूरज जैसा
मैं बारिशो में बादलों के बीच झांकते सूरज जैसा
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या