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मीलो दूर

3.8
746

अपने हाथ में चाय का कप लेकर घर की बालकनी से मैं बारिश की बूंदों को आसमान से नीचे गिरता हुआ देख रहा था।क्या ये बारिश की बूंदों की तरह हम भी एक साथ कई जगह हो सकते है? सोच रहा था क्या हो गयी है ज़िंदगी ...

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लेखक के बारे में

मैं बारिशो में बादलों के बीच झांकते सूरज जैसा

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    manoj kumar
    14 অক্টোবর 2017
    बेहतर कथा है मानो अपने ही जीवन का कोई अंश हो
  • author
    Neeha Bhasin
    01 নভেম্বর 2018
    katu satya h , bahut badhiya Likha h ..
  • author
    Aditya Dubay
    07 এপ্রিল 2021
    समझ से परे कहानी
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  • author
    manoj kumar
    14 অক্টোবর 2017
    बेहतर कथा है मानो अपने ही जीवन का कोई अंश हो
  • author
    Neeha Bhasin
    01 নভেম্বর 2018
    katu satya h , bahut badhiya Likha h ..
  • author
    Aditya Dubay
    07 এপ্রিল 2021
    समझ से परे कहानी