माता-पिता #विधा#दोहा मात-पिता भगवान है,जीवन पालनहार। फिर क्यो बालक है करें, उनके संगी खार। बच्चो की सेवा करे, मात- पिता का फर्ज। बालक कुछ समझे नही, इसमे अपना हर्ज। मात-पिता आराधना,कर लो इनसे प्यार। ...
मन में उठने वाली पीड़ा कब कहानी बनकर बाहर आ
जाती है।समाज में घटित घटनाएं मन को अवसाद देती है।समाज के लिये उपयोगी व ज्ञानवधक लिखना सूकुन देता है।अपने मन से निकले भाव कविता का रुप ले लेते हैं।अच्छी कसावदार व सच्चाई से ओतप्रोत रचना लिखूं ऐसा मेरा प्रयास है।
सारांश
मन में उठने वाली पीड़ा कब कहानी बनकर बाहर आ
जाती है।समाज में घटित घटनाएं मन को अवसाद देती है।समाज के लिये उपयोगी व ज्ञानवधक लिखना सूकुन देता है।अपने मन से निकले भाव कविता का रुप ले लेते हैं।अच्छी कसावदार व सच्चाई से ओतप्रोत रचना लिखूं ऐसा मेरा प्रयास है।
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