मस्तराम की मस्ती कुछ लोग दुनिया में बड़ी बेफिक्री से जीवन बीता देते हैं। न जीवन की चिन्ता, न अपनों परवाह और ही न समाज का भय रहता है। ऐसे ही थे मस्तराम। मजे से खाते-पीते और चैन की नींद सोते। 'अरे ...
मैं वो दरिया जिसे समंदर मिला अधूरा,
मैं वो फूल जो खिला नहीं पूरा।
फिर भी न कोई दुख, न मलाल है,
बस खुद में खुश हूँ, मस्त मेरा हाल है।
https://youtube.com/@rakhianamika7501
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सारांश
मैं वो दरिया जिसे समंदर मिला अधूरा,
मैं वो फूल जो खिला नहीं पूरा।
फिर भी न कोई दुख, न मलाल है,
बस खुद में खुश हूँ, मस्त मेरा हाल है।
https://youtube.com/@rakhianamika7501
सभी आदरणीय जनों से सादर आग्रह है कृपया msg box में जाने की बजाय रचना पढें एवं स्वतंत्र रूप से समीक्षा करें. Symbol भेजते समय मर्यादा का उचित ध्यान रखें. प्रेरणा के लिये धन्यवाद🙏
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