मसरूफ़ है इतने की शब्दों में क्या लफ्जों में कहने का वक़्त नही है अभी मेरे पास, मगर मसरूफियत कि इस बयां बाजी दौरान एक आवाज ऐसी जहाँ सब जरूरी काम से निजात चाहिए मुझे, हर बिखरी पड़ी चीज़ ...
मसरूफ़ है इतने की शब्दों में क्या लफ्जों में कहने का वक़्त नही है अभी मेरे पास, मगर मसरूफियत कि इस बयां बाजी दौरान एक आवाज ऐसी जहाँ सब जरूरी काम से निजात चाहिए मुझे, हर बिखरी पड़ी चीज़ ...