ये लाल रक्त पीढ़ियों की सीढ़ी है मासिक धर्म कोई पाप नहीं यह तो देन है प्रकृति की अगर ये नहीं तो प्राणियों में प्राण नहीं ये तो स्त्रियों की पीड़ा है मिला है प्रकृति से वरदान यहीं मंदिर मज्जिद जाने ...
बधाई हो! मासिक धर्म ( periods ) - Hindi Poem By Bhavya Dhumbra | poem on periods प्रकाशित हो चुकी है।. अपने दोस्तों को इस खुशी में शामिल करे और उनकी राय जाने।