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मनुष्य को मशीन बनाता विकास

4.2
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मई का महीना। जला देने वाली गर्मी का तांडव। दोपहर में लू इतनी तेज चल रही थी कि गाँव केसभी लोग अपने-अपने घरों में दुबके थे। गाँव के प्रधान रमेसर काका पेटगढ़ी से परेशान थे। रह-रहकर उनका पेट बहुत ही तेज ...

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लेखक के बारे में

प्रभाकर पाण्डेय जन्मतिथि :०१-०१-१९७६ जन्म-स्थान :गोपालपुर, पथरदेवा, देवरिया (उत्तरप्रदेश) शिक्षा :एम.ए (हिन्दी), एम. ए. (भाषाविज्ञान)  पिछले 18-19 सालों से हिन्दी की सेवा में तत्पर। पूर्व शोध सहायक (Research Associate), भाषाविद् के रूप में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) मुम्बई के संगणक एवं अभियांत्रिकी विभाग में भाषा और कंप्यूटर के क्षेत्र में कार्य। कई शोध-प्रपत्र राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत। वर्तमान में सी-डैक मुख्यालय, पुणे में कार्यरत। विभिन्न हिंदी, भोजपुरी पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन।

समीक्षा
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    Priyanka tiwari
    17 ফেব্রুয়ারি 2018
    ajj K smaj K ar ekl parivar K shi vayakhya K h apne.... pr ajj to loog ise apni uplbdhi smjhte h ar iske viprit sochne K time hi nhi hota logo K paas K aaj K adhunikta pane K cchhkr m kya kuch ANMOL gwaaa diya hmne........ nice
  • author
    10 অগাস্ট 2021
    सुंदर
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    Priyanka tiwari
    17 ফেব্রুয়ারি 2018
    ajj K smaj K ar ekl parivar K shi vayakhya K h apne.... pr ajj to loog ise apni uplbdhi smjhte h ar iske viprit sochne K time hi nhi hota logo K paas K aaj K adhunikta pane K cchhkr m kya kuch ANMOL gwaaa diya hmne........ nice
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    10 অগাস্ট 2021
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