माता आयी हमारे द्वार, मैं मंगल गीत गाऊंगी । सज धज कर सखियों के संग माता को रीझाऊंगी। अपने मन के मंदिर में, मैं माता को बिठाऊंगी। जाकर माली की फूलवारी,फूल गूरहल की लाऊंगी। बड़े प्रेम से मैं ...
माता आयी हमारे द्वार, मैं मंगल गीत गाऊंगी । सज धज कर सखियों के संग माता को रीझाऊंगी। अपने मन के मंदिर में, मैं माता को बिठाऊंगी। जाकर माली की फूलवारी,फूल गूरहल की लाऊंगी। बड़े प्रेम से मैं ...