pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

मन प्रार्थी हो गया

23

पीड़ा बनी प्रार्थना मन प्रार्थी हो गया। घनीभूत पीड़ाओं के जंगल में खोया, अभ्यन्तर की गहराई में जाकर रोया। अपनी ही चंचल गति का पारखी हो गया। देह, प्राण, मन अलग-अलग कर जबसे जाना, विषय वासना की ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है