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मन का सुख

3.8
1550

आज जेसे तेसे मकान मालकिन को माकन किराया दिया एक दम सारे सही नोट ,,,,फिर एक दिन अचानक वो नीचे आई और बोली की आपने हमे सौ के चार नोट फटे दिए चल नही रहे ,,तोअचानक बोल उठी मधु ,की नही आंटी जी मेने तो सही ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mukesh Verma
    31 मई 2019
    ईश्वर की लाठी वेआवाज होती है।
  • author
    30 जुलाई 2017
    short and lovely
  • author
    Aditya Dubay
    17 मार्च 2021
    कहानी, भाषा और व्याकरण सभी में सुधार की आवश्यकता हैं।
  • author
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  • author
    Mukesh Verma
    31 मई 2019
    ईश्वर की लाठी वेआवाज होती है।
  • author
    30 जुलाई 2017
    short and lovely
  • author
    Aditya Dubay
    17 मार्च 2021
    कहानी, भाषा और व्याकरण सभी में सुधार की आवश्यकता हैं।