मैया के नन्हे बालक थे हम दोनों । जिसपे वह जान छिड़कती थी ।। जरा सी चोट से घायल होते होते तो । नयनों से अपने गंगा की धार बहाती थी ।। वो समय भी था,। जब था बचपन ।। जब भाई दोनों ,। एक दूजे पर मरते ...

प्रतिलिपिमैया के नन्हे बालक थे हम दोनों । जिसपे वह जान छिड़कती थी ।। जरा सी चोट से घायल होते होते तो । नयनों से अपने गंगा की धार बहाती थी ।। वो समय भी था,। जब था बचपन ।। जब भाई दोनों ,। एक दूजे पर मरते ...