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मैं, मेरी चिरैया और राम

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हां, मैं अपने राम से नाराज था, सूना सा मेरे घर का हर साज था, न दीपक जला, न हुई आरती मंदिर में रखा शंख भी बेकाज था। एक नन्ही सी जान से था क्या बैर तेरा, झलक सी रोशनी और फिर गहरा अंधेरा, संभल ही न ...

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Ajay Sharma
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