मैं गांठ हृदय की खोलूँ क्या, कंधे पर सिर रख रोलूँ क्या । तुम आंखों से सब पढ़ लो ना, मैं मुँह से आखिर बोलूं क्या । ये इश्क़ मोहब्बत प्यार वफ़ा, तुम छोड़ चले मैं ढो लूँ क्या । कुछ दूर अभी अंधियारा है, ...
मैं गांठ हृदय की खोलूँ क्या, कंधे पर सिर रख रोलूँ क्या । तुम आंखों से सब पढ़ लो ना, मैं मुँह से आखिर बोलूं क्या । ये इश्क़ मोहब्बत प्यार वफ़ा, तुम छोड़ चले मैं ढो लूँ क्या । कुछ दूर अभी अंधियारा है, ...