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मैं अधीर इसीलिए नहीं होता....मुझे विश्वास है कबीर के इस दोहे पर... धीरे धीरे रे मना, धीरे सबकुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होए।।

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मैं अधीर इसीलिए नहीं होता.... खुद को किंग कहने वाला आज लटका हुआ मुंह लेकर आर्थर रोड जेल के दरवाजे पहुंचा तो यह पोस्ट लिख रहा हूं। ठीक एक वर्ष पहले की बात है।  पिछले वर्ष इसी अक्टूबर माह ...

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लेखक के बारे में
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Vinay Sinha

शून्य से शून्य तक की यात्रा का प्रयास करता हूं।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

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  • author
    💖 Sonal. C
    22 अक्टूबर 2021
    very nice and truth of the society,
  • author
    महेश समीर
    22 अक्टूबर 2021
    उत्तम
  • author
    Priyanka गर्ग
    22 अक्टूबर 2021
    अच्छा लिखा है
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    💖 Sonal. C
    22 अक्टूबर 2021
    very nice and truth of the society,
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    महेश समीर
    22 अक्टूबर 2021
    उत्तम
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    Priyanka गर्ग
    22 अक्टूबर 2021
    अच्छा लिखा है