
प्रतिलिपि“मैं पलाश चतुर्वेदी आज इन पत्तों को साक्षी मानकर तुम्हें अपनी पत्नी स्वीकार करता हूं ।“ “ये क्या बकवास है ?“ -कहते हुए मेघा ने तेजी से अपना हाथ पलाश की हथेली से वापस खींचा । “अरे तुम्हें नही पता, ये पत्ते प्रकृति का हिस्सा हैं और प्रकृति से पवित्र कुछ भी नहीं इस ब्रह्मांड में । आज इन्हीं को साक्षी मानकर मैनें तुम्हें अपनी पत्नी स्वीकार किया है । चलो अब यही षब्द तुम भी दोहराओ ।“ -पलाष बोला । “तुम पागल हो गए हो । अभी तो हमारी दोस्ती शुरू ही हुई है । प्यार तक के बारें में नही सोचा मैनें और तुम ...
रिपोर्ट की समस्या
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