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मै और मेरी तन्हाई -अक्सर ये बातें करते हैं

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4.6

जब कभी मै तन्हा होता हूं , मन के झरोखे से फौरन , सामने उतर आती हो तुम । क्यों किस अधिकार से , जेहन मे कब्जा जमाये हो, हर वक्त याद आती हो तुम । कभी कभी तो ऐसा होता है , ,कि बावला बन सोचता हूं , सब ...