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महाभारत: द्रोण पर्व: प्रथम अध्याय: श्लोक 1-20

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भीष्म जी के धराशायी होने से कौरवों का शोक तथा उनके द्वारा कर्ण का स्मरण अन्तर्यामी नारायणस्वरूप भगवान श्रीकृष्ण, ( उनके नित्य सखा) नरस्वरूप नरश्रेष्ठ अर्जुन, ( उनकी लीला प्रकट करने वाली) भगवती ...

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Susanta Mahapatra
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