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मधुशालाओं की मधुशाला

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4.2

तेरी आँखों के इस सागर में, इन्हे तक तक डूबा जाता हूँ मै राह चला था सीधी सी, पर तुझमें खोया जाता हूँ तेरी आँखों के इस दरिया से बच कर के निकलना मुश्किल है है तलाश जिसे इन आँखों को कोई और नहीं मेरा दिल ...