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माँ वाली लोरी

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रातें हुई हैं बेचैन नींद भी खेल रही आँख-मिचौली सपनों का घर भी अब है खाली घड़ी की टिक-टिक भी अब लगे निराली मुझ अब कोई सुला जाये, माँ वाली लोरी कानों में फ़ुस्फ़ुसा जाये... ...

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