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लोकार्पण

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है रंग तुम्हारे पाठको मे हजार जिसमे सिमटता है सब प्यार कोई चटख लाल सा आगे है कोई अनंत बनकर बैंगनी है कोई दोसती का हाथ लिए है कोई हरियाली सी जननी है कोई नीला आसमान सा यूं दुलार प्यार आभार लिए है ...