ज़िंदगी के एक शोर से बाहर आकर सुरीली दो पल खुद को पहचानने, खुद के साथ जीने निकल पड़ी थी | बाहर से तो वो खुद को संभाले थी लेकिन मन में बीते किरदार अब भी झलक दे रहे थे| मां, पापा और बहन के साथ आज ...
ज़िंदगी के एक शोर से बाहर आकर सुरीली दो पल खुद को पहचानने, खुद के साथ जीने निकल पड़ी थी | बाहर से तो वो खुद को संभाले थी लेकिन मन में बीते किरदार अब भी झलक दे रहे थे| मां, पापा और बहन के साथ आज ...