लिखता हूँ मै हरदिन, एक नई रचना। हम जैसे लेखक का एक यही है सपना। पढ़ते है बहुतेरे पाठक, उत्साह नही बनाते। एक नये विश्वास के साथ, फिर वही दहराते। प्रशंसा न पाये तो ना सही, समिक्षा भी नही पाते। फोलोऑस ...
लिखता हूँ मै हरदिन, एक नई रचना। हम जैसे लेखक का एक यही है सपना। पढ़ते है बहुतेरे पाठक, उत्साह नही बनाते। एक नये विश्वास के साथ, फिर वही दहराते। प्रशंसा न पाये तो ना सही, समिक्षा भी नही पाते। फोलोऑस ...