लहरों की तरह है जीवन की धारा, आती-जाती हर पल, है यह बेहतरीन करा। मुख़ातिब करती है लहरें सबको, चाहे हो बचपन की नाविका या बुढ़ापे की दुबारा। ऊँचाईयों पर उछलती, खींचती नीचाईयों को, मनोहारी तारे जो बिखरा ...
शब्दों की माला में बुनी हूँ, जीवन की धडकनों से। सदा सपनों की ऊंचाइयों की खोज में, मैं विचरण करती हूँ। रौशनी की ओर बढ़ते कदमों से, मैं शब्दों के रंग में रंग जाती हूँ। संवेदनाओं की सारगर्मियों में, मैं अपनी कलम की गुनगुनाहट सुनती हूँ। कृष्ण की भक्ति में मग्न, मैं उनका ही गुणगान करती चलती हूं। उभरती हुई कविताओं के संसार में, मैं अपनी पंक्तियों के साथ चलती हूँ।
सारांश
शब्दों की माला में बुनी हूँ, जीवन की धडकनों से। सदा सपनों की ऊंचाइयों की खोज में, मैं विचरण करती हूँ। रौशनी की ओर बढ़ते कदमों से, मैं शब्दों के रंग में रंग जाती हूँ। संवेदनाओं की सारगर्मियों में, मैं अपनी कलम की गुनगुनाहट सुनती हूँ। कृष्ण की भक्ति में मग्न, मैं उनका ही गुणगान करती चलती हूं। उभरती हुई कविताओं के संसार में, मैं अपनी पंक्तियों के साथ चलती हूँ।
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