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लक्ष्य बन चुका है

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कभी कभी ये सारा जहाँ मुझे तुच्छ जान पड़ता है मुझे लगता है कि मैं किसी महाशून्य में खो गई हूँ मैं खुद को जानना चाहती हूँ कि मैं कौन हूँ ? क्या हूँ ? क्या है मेरा वर्चस्व ,अस्तित्व अपने आप को पाना चाहती ...

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लेखक के बारे में
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Meena Gulyani

सेवानिवृत वरिष्ठ अनुदेशिका कविता लिखना मेरा शौक है

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