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हिन्दी

​लड़की

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3.8

समझती है चतुर खुद को नकचढ़ी ​लड़की बिगड़ती बिन बात के भी नासमझ लड़की। . छींकती है, खाँसती है आंग्ल भाषा में खुली आँखों पाल सपने नवल आशा के नहीं शृद्धा, तर्क की जय बोलती हरदम भड़कती है, अकड़ती है नासमझ लड़की ...