समझती है चतुर खुद को नकचढ़ी लड़की बिगड़ती बिन बात के भी नासमझ लड़की। . छींकती है, खाँसती है आंग्ल भाषा में खुली आँखों पाल सपने नवल आशा के नहीं शृद्धा, तर्क की जय बोलती हरदम भड़कती है, अकड़ती है नासमझ लड़की ...
समझती है चतुर खुद को नकचढ़ी लड़की बिगड़ती बिन बात के भी नासमझ लड़की। . छींकती है, खाँसती है आंग्ल भाषा में खुली आँखों पाल सपने नवल आशा के नहीं शृद्धा, तर्क की जय बोलती हरदम भड़कती है, अकड़ती है नासमझ लड़की ...