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लड़की

4.2
2591

लड़की चिड़िया बनकर उड़ान भरती जा रही है आकाश में और पंख मारती है अनंत छूने को । लड़की नदी की लहर बनकर बहती जा रही है विराट की ओर। लड़की किरण बनकर घेरती जा रही है - कवि-कल्पित स्थान को। ...

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लेखक के बारे में

लेखन जिसके लिए संजीवनी है, पढ़ना असंख्य मनीषियों की संगति, किताबें मंदिर और लेखक उस मंदिर के देव-देवी। कठकरेज’ (कहानी संग्रह) तथा मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्ली से ‘जिनगी रोटी ना हऽ’ (कविता संग्रह), 'सम्भवामि युगे युगे' (लेख-संग्रह) व 'ऑनलाइन ज़िन्दगी' (कहानी संग्रह) प्रकाशित हो चुकी है। साझा काव्य संग्रह ‘पंच पल्लव’ और 'पंच पर्णिका' का संपादन भी किया है। वर्ण-पिरामिड का साझा-संग्रह ‘अथ से इति-वर्ण स्तंभ’ तथा ‘शत हाइकुकार’ हाइकु साझा संग्रह में आ चुके हैं। साहित्यकार श्री रक्षित दवे द्वारा अनुदित इनकी अट्ठाइस कविताओं को ‘वारंवार खोजूं छुं’ नाम से ‘प्रतिलिपि डाॅट काॅम’ पर ई-बुक भी है। आकाशवाणी और कई टी.वी. चैनलों से निरंतर काव्य-कथा पाठ प्रसारित होते रहने के साथ ही ये अपने गृहनगर में साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ का संयोजन करते रहे हैं। इन्होंने हिंदी टेली फिल्म ‘औलाद, लघु फिल्म ‘लास्ट ईयर’ और भोजपुरी फिल्म ‘कब आई डोलिया कहार’ के लिए पटकथा-संवाद और गीत लिखा है। ये अबतक लगभग तीन दर्जन नाटकों-लघुनाटकों का लेखन और निर्देशन कर चुके हैं। वर्तमान में कई पत्रिकाओं के संपादक मंडल से जुड़े हुए हैं। साल 2002 से हिंदी शिक्षण और पाठ्यक्रम निर्माण में संलग्न हैं तथा वर्तमान में दिल्ली परिक्षेत्र में शिक्षण-कार्य करते हुए स्वतंत्र लेखन करते हैं। ये विश्व-पटल पर छात्रों को आॅनलाइन हिंदी पढ़ाते हैं। राजापुरी, उत्तम-नगर, नई दिल्ली

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ravindra Narayan Pahalwan
    11 अक्टूबर 2018
    रचनाकार ने महत्वपूर्ण विषय पर पाठक का ध्यान खींचा है / सफलता पर बधाई...
  • author
    14 दिसम्बर 2018
    बहुत सही लिखा है आपने
  • author
    शुभम पंथ
    04 फ़रवरी 2018
    एक दिन समाज की सोच ज़रूर बदलेगी
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    Ravindra Narayan Pahalwan
    11 अक्टूबर 2018
    रचनाकार ने महत्वपूर्ण विषय पर पाठक का ध्यान खींचा है / सफलता पर बधाई...
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    14 दिसम्बर 2018
    बहुत सही लिखा है आपने
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    शुभम पंथ
    04 फ़रवरी 2018
    एक दिन समाज की सोच ज़रूर बदलेगी