क्यों तुम कोई शिकायत नहीं करते कभी मुझ से ख़फ़ा नहीं होते नज़र अंदाज़ जो मैं कभी करुँ कोई हक नहीं जताते कभी जो मैं तुमसे दूर हो जाऊँ ख़ामोशी इख़्तियार कर जाते लाख कोशिशे करुँ दीदार नसीब नहीं होते ...
क्यों तुम कोई शिकायत नहीं करते कभी मुझ से ख़फ़ा नहीं होते नज़र अंदाज़ जो मैं कभी करुँ कोई हक नहीं जताते कभी जो मैं तुमसे दूर हो जाऊँ ख़ामोशी इख़्तियार कर जाते लाख कोशिशे करुँ दीदार नसीब नहीं होते ...