अपनों से भी नजर चुराने लगे कैसा यह कुदरत का कहर है लोग सहमे से दुबके घरों में सूना सूना सा मेरा ये शहर है। ताश खेलती टोलियाँ गायब हुक्के की गुड़गुड़ पर भी असर सगाई ब्याह नौराते फीके ...
इक्कीस वर्षों से लैक्चरर् पद पर कार्यरत् 1998 से कथा, लघुकथा ,संस्मरण,प्रेरक लेख कविता लेखन।
दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक ट्रिब्यून , हरिभूमि ,नभछोर आदि विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में अनेक रचनाएँ प्रकाशित। अब ratiwal.wordpress. com पर ब्लॉग लेखन। समारोहों में एंकरिंग करने का शौक
सारांश
इक्कीस वर्षों से लैक्चरर् पद पर कार्यरत् 1998 से कथा, लघुकथा ,संस्मरण,प्रेरक लेख कविता लेखन।
दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक ट्रिब्यून , हरिभूमि ,नभछोर आदि विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में अनेक रचनाएँ प्रकाशित। अब ratiwal.wordpress. com पर ब्लॉग लेखन। समारोहों में एंकरिंग करने का शौक
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