खंडहरों में जब हम जीवन जीते थे। फटी हाल जिंदगी को बस सीते थे।। समझ के हाला और निवाला। अश्कों को ही नित नित हम पीते थे।। ----✍️ महेन्द्र मौर्य ...
खंडहरों में जब हम जीवन जीते थे। फटी हाल जिंदगी को बस सीते थे।। समझ के हाला और निवाला। अश्कों को ही नित नित हम पीते थे।। ----✍️ महेन्द्र मौर्य ...