जोधपुर मेरी जन्मभूमि है, सूरत मेरी कर्मभूमि है।
मैं एक मंचीय कवि हूँ और बतौर हास्य कवि सूरत में गांधी स्मृति भवन में, मुंबई में बोरीवली में,
दिल्ली में दो बार, हरियाणा में तीन बार, चेन्नई में तीन दिवसीय, उदयपुर में तीन दिवसीय, जयपुर में एक बार काव्य पाठ कर चुका हूँ।
कुछ खास रचनाओं में यह शामिल है : "हे अब्दुल कलाम, तुम्हें ढेरों सलाम", "मां चालीसा" "पिता", "गणेश चालीसा" , "पत्नी बावनी", "देश भक्ति", "नेता बोलता है", "रामचंद्र कह गए सिया से" "चतुर पंडित", "लंबी कुटाई", "टमाटर गाथा", "खट्टा रसगुल्ला, "एक तरफा प्यार" इत्यादि।