मुझे लगता है अगर मेरी रचना मास्टर जी का अपहरण में गलियां न होती तो शायद टॉप 3 में जगह बनाने में कामयाब होती। पर अगर गलियां नहीं होती तो किरदार के साथ न्याय हो पाता , जबकि मैं ऐसे कई अध्यापकों को ...
आपकी बात से सहमत हूँ... आप ऐसा कदापि न सोचें कि कहानी में गालियाँ नहीं होंगी तो वह उच्च स्तरीय रचना नहीं हो सकती। क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि भाषा में गालियों का प्रयोग पात्र के रहन-सहन और वातावरण पर निर्भर करता है।
जैसे कहानी में कोई किरदार विलेन का है... अब चूँकि वह विलेन है तो उसमें अन्य दोषों के साथ-साथ यह दोष भी अवश्यम्भावी है।
आपको याद हो आप ने कई हिन्दी फिल्मों को देखा होगा वहाँ पर भी कहानी और पात्रों के अनुसार सामान्य से निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग किया जाता है तब भी वे फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर खूब सुर्खियाँ बटोरने के साथ-साथ अच्छा कलेक्शन भी संग्रहित करती हैं।
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