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क्रोध

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"क्रोध" हास्य में खोजे अरुचिकर, शब्द जो बस हास्य ही थे। किंतु, मन तो चपल-चंचल, कहाँ समझे हर्ष निश्छल? निरर्थक वे शब्द थे पर, अब, हृदय को बींधते हैं। खोज उसमें निज, अवज्ञा, त्याग दी है, ...