सुध बिसराए मेरी सखी, प्यारे मोहन तेरी छवि। निहारू तूझे मै घडी घडी, प्यास न बुझे कभी मेरी। सुध बिसराए.............। कान्हा हू दिवानी मै तेरी , तू भी तो सुध ले न अब मेरी, चाहू तुझे मै बताऊ इतना, ...
सुध बिसराए मेरी सखी, प्यारे मोहन तेरी छवि। निहारू तूझे मै घडी घडी, प्यास न बुझे कभी मेरी। सुध बिसराए.............। कान्हा हू दिवानी मै तेरी , तू भी तो सुध ले न अब मेरी, चाहू तुझे मै बताऊ इतना, ...