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कृष्ण, कृष्ण मेरे कृष्ण सखी।

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सुध बिसराए मेरी सखी, प्यारे मोहन तेरी छवि। निहारू तूझे मै घडी घडी, प्यास न बुझे कभी मेरी। सुध बिसराए.............। कान्हा हू दिवानी मै तेरी , तू भी तो सुध ले न अब  मेरी, चाहू तुझे मै बताऊ इतना, ...