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कृष्ण भक्ति गीत -तर्ज कब आएगा मेरे बंजारे।

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कब आओगे मेरे कान्हा रे ?(२) तेरी राधा रानी रस्ता देखे,कब आओगे मेरे कान्हा रे।       दूर बहुत क्या मथुरा तेरा, पहुंचा नहीं संदेश जो मेरा। सपनों में आना, जल्दी से आना,देर हुई कान्हा रे। कब आओगे मेरे ...

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लेखक के बारे में

मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा जिले की तहसील बाह के (ब्लाक बाह ) के बासौनी नामक एक छोटे से गांव में २ सितंबर,१९७२ को भाद्रपद मास में दशमी तिथि को हुआ था। मेरी दशमी क्लास तक की शिक्षा मेरे गांव के ही विद्यालय में हुई और मैंने अपनी इंटरमीडिएट परीक्षा सर्वोदय विद्यालय, कस्बा पिनाहट, तहसील बाह से पास किया। मैंने ग्रेजुएशन की डिग्री गंजडुंडवारा (पी.जी.)कालेज गंजडुंडवारा,जिला एटा, आगरा विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश से लिया।अपना ग्रेजुएशन पूर्ण करने के पश्चात मैंने अंग्रेजी साहित्य और अंग्रेजी भाषा में पोस्ट ग्रेजुएशन श्री हरिचरन कालीदास महाविद्यालय, आश्रम रोड, अहमदाबाद गुजरात विश्वविद्यालय किया और १२ सितंबर,१९९७ अहमदाबाद को अपनी कर्मभूमि बना लिया और वर्तमान में मैं मेहसाणा जिले के कडी तहसील में सपरिवार रह रहा हूं। मैं अभी यहां पर एक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत हूं। मैं शारीरिक रूप से पैरों से विकलांग हूं पर मैंने अपनी इस शारीरिक विकलांगता को कभी मेरी कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि इसे मैं एक शक्ति के रूप में मानता हूं और असाधारण कार्य करने की शक्ति रखता हूं। मैं अपने भाग्य से अधिक अपने कर्म करने करने में विश्वास रखता हूं। मेरा निश्चित मानना है कि- खुद ही कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से ये पूंछे,कि बता तेरी रजा क्या है? Man is the architect of his own fate.आप सभी का अपना आशीष प्रार्थी-सूर्य प्रताप आर. भदौरिया

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