pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

कोउ नृप भए

3.6
1734

यह तो दुनिया का दस्तूर ही है कि ग़लती चाहे जो भी करें पर सज़ा तो जो छोटा होता है उसी को मिलती है.लाश को कंधा देते हुए आगे वाला आदमी कह रहा था.देखो घर हो,समाज हो या राष्ट्र सभी जगह यह ही नियम लागू होता ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
हरीश जायसवाल
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है