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कोई मुझको यू मिला है जैसे बंजारे को घर

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बंजारे घूम रहे थे मोहब्बत की रहो मे कोई अजनबी मिल गया इन निगाहों में न जाने मंजिल क्या होगी इस राह की क्या अपनापन मिलेगा इस कश्ती, इस नाव में हां अनगिनत जख्म मिलेंगे ऐसे रहो मे पर सुकून ...

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Stuti Ojha
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