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कोई कैसे तुम्हे भूल जाएँ....

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3.7

तुम..... किसी दुसरी ज़िन्दगी का एहसास हो .. कुछ पराये सपनो की खुशबु हो .. कोई पुरानी फरियाद हो .. किस से कहूँ की तुम मेरे हो .. कोई तुम्हे कैसे भूल जाएँ ..... तुम... किसी किताब में रखा कोई सूखा फूल ...