ख्वाहिश मेरी आतिश बनी क्या क्या मगर शाजिश बनी जीने की सांसे कोई लुटे मेरा चैना सुना लगे मनवा मेरा बुझने लगे नैना ..... जैसे सितारा तक़दीर हारा करता रहा इल्तेजा कोई चाँद रख मेरी शाम पर मेरा दिल ...
ख्वाहिश मेरी आतिश बनी क्या क्या मगर शाजिश बनी जीने की सांसे कोई लुटे मेरा चैना सुना लगे मनवा मेरा बुझने लगे नैना ..... जैसे सितारा तक़दीर हारा करता रहा इल्तेजा कोई चाँद रख मेरी शाम पर मेरा दिल ...