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ख्वाहिश नहीं मुझे (कविता)

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4.6

मुंशी प्रेमचंद की यह दिल को छू जाने वाली कविता है। एक सबक का पाठ पढ़ाती है। ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की, आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है। अच्छे ने अच्छा और, बुरे ने बुरा जाना मुझे, क्यों ...