pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

खुशी

21

अभी कुछ समय पहले ही तो आये हो तुम प्यारे। गिल्ली डंडा, कंचे, चोर सिपाही वो बचपन के खेल निराले।। यहां न खेलो वहाँ न खेलो, इन सब की फिक्र-जिक्र से हटकर थे मतवाले।। आयी जवानी साथ मे लायी दिक्कतें और ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Rajat Singh
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है