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खूनी नदी

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वासल्यमयी  माँ नीला नीला जल है तेरा निर्मल निष्कलन्क तेरी बहती धारा । फिर खूनी ये नाम किसने दिया तुझको गुनी होते हुए बदनाम किया तुझको ।   भाई भाई दुश्मन हुए, टुटा  प्रेम का सहारा भारी दुःख ...

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neeraj mishra

बहुत दिनों से खामोश कलम से, नकाब फिर आज उतारा हैं। अक्षरों को भावों में पिरो कर शब्दों से सवारा हैं।

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