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खिड़की से झांकता वो चांद

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रात की सूनी -सी पहर, और खिड़की से झांकता वो चांद, आज फिर कोई आशिक , देर रात तक जागा होगा। देखकर इस हंसी चांद की शीतल - सी चांदनी, अपने महबूब को बारहां याद किया होगा। लिख डाले होंगे कई नज़्म, ...