खाए-खाए पर आफत राजीव आनंद चार दिनों से घर पर चूल्हा नहीं जला था. भीमा सोच रहा था कि उसे न जाने भर पेट खाना कब मिलेगा. यही सोचते-सोचते भीमा गांव से काफी दूर निकल गया था. एक जगह उसे साग की कुछ झाडि़या ...
खाए-खाए पर आफत राजीव आनंद चार दिनों से घर पर चूल्हा नहीं जला था. भीमा सोच रहा था कि उसे न जाने भर पेट खाना कब मिलेगा. यही सोचते-सोचते भीमा गांव से काफी दूर निकल गया था. एक जगह उसे साग की कुछ झाडि़या ...