विनय सौरभ की कविता ******************* 【जिल्दसाज़】 वह जो एक दिन दरवाजे पर आ खड़ा हुआ बांग्ला में बोला : किताबों पर जिल्द चढ़ाता हूं किसी ने बताया कि आपके यहां किताबें बहुत हैं कुछ किताबें देंगे ...
विनय सौरभ की कविता ******************* 【जिल्दसाज़】 वह जो एक दिन दरवाजे पर आ खड़ा हुआ बांग्ला में बोला : किताबों पर जिल्द चढ़ाता हूं किसी ने बताया कि आपके यहां किताबें बहुत हैं कुछ किताबें देंगे ...