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कविता - जमाने का दस्तूर...

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कुछ सिरफिरे कुछ पागल होते हैं हां कुछ लोग घायल भी होते हैं। जमाने का दस्तूर होता है सताना जरुर होता है। सीधी कहा दुनियादारी चलती है एक हाथ से ताली कहा बजती है। जो बढ़ रहा है उसे गिराना होता है पीठ ...