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कटी नाक , जुड़ी नाक

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अब कपार पर हाथ धरे क्यों बैठे हो भईया, जो हुआ सो हुआ ! इतनी भी पीर क्यों पैदा करनी ? अरे ! जिसे माँ –बाप के बारे में सोचना होता, वो भला ऐसे कदम थोड़े ही उठाता ? पैदा होते मर ना गयी कुलक्षनी , करमजली | ...

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लेखक के बारे में

अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’ जन्म : 1 मार्च ग्राम- खेमीपुर, अशोकपुर , नवाबगंज जिला गोंडा , उत्तर - प्रदेश दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान ,कादम्बनी,वागर्थ ,बया ,इरावती प्रतिलिपि डॉट कॉम , सिताबदियारा ,पुरवाई ,हमरंग आदि में रचनाएँ प्रकाशित 2001 में बालकन जी बारी संस्था द्वारा राष्ट्रीय युवा कवि पुरस्कार 2003 में बालकन जी बारी -युवा प्रतिभा सम्मान आकाशवाणी इलाहाबाद से कविता , कहानी प्रसारित ‘ परिनिर्णय ’ कविता शलभ संस्था इलाहाबाद द्वारा चयनित मोबाईल न. 8826957462 mail- [email protected]

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    08 अप्रैल 2017
    एकदम यथार्थ लिखा है आपने.. एक ही पहलू को सब अपने अपने नज़रिए से देखकर उसे अलग थलग कर देते हैं... वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने
  • author
    Roohi Roohi Roohi
    16 नवम्बर 2017
    Very nice. Precise and to the point. Excellent work in minimum words.
  • author
    पूर्णिमा
    06 दिसम्बर 2017
    nice story
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    08 अप्रैल 2017
    एकदम यथार्थ लिखा है आपने.. एक ही पहलू को सब अपने अपने नज़रिए से देखकर उसे अलग थलग कर देते हैं... वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने
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    Roohi Roohi Roohi
    16 नवम्बर 2017
    Very nice. Precise and to the point. Excellent work in minimum words.
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    पूर्णिमा
    06 दिसम्बर 2017
    nice story