अब कपार पर हाथ धरे क्यों बैठे हो भईया, जो हुआ सो हुआ ! इतनी भी पीर क्यों पैदा करनी ? अरे ! जिसे माँ –बाप के बारे में सोचना होता, वो भला ऐसे कदम थोड़े ही उठाता ? पैदा होते मर ना गयी कुलक्षनी , करमजली | ...
अब कपार पर हाथ धरे क्यों बैठे हो भईया, जो हुआ सो हुआ ! इतनी भी पीर क्यों पैदा करनी ? अरे ! जिसे माँ –बाप के बारे में सोचना होता, वो भला ऐसे कदम थोड़े ही उठाता ? पैदा होते मर ना गयी कुलक्षनी , करमजली | ...