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कठपुतली (कविता)

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कठपुतली गुस्से से उबली बोली-ये धागे क्यों है मेरे पीछे-आगे? इन्हें तोड़ दो; मुझे मेरे पांव पर छोड़ दो। सुनकर बोली और-और कठपुतलियां कि हां, बहुत दिन हुए हमें अपने मन के छंद छुए। मगर ....... पहली ...

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Manhor lal Sharma
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