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काटते ही नहीं हम बुराईयों की जड़े

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"कमियाँ" ये शब्द मनुष्य में ही होती है! एक मनुष्य होकर हम कितनी गलतियाँ करते हैा वही एक जानवर लाख कमियों के बाद भी पुर्ण हैा हम एक सभ्य समाज की बात करे तो पुरुष और स्त्री दोनों को बराबरी का हक हैा पर ...