कस्तूरी कुंडल बसे “कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूँढे वन माहि, ऐसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखे नाहि।” महान समाज सुधारक संत कबीरदासजी की इन पंक्तियों में एक गहन दार्शनिक सत्य छुपा हुआ है। जिस प्रकार हिरन की ...
कस्तूरी कुंडल बसे “कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूँढे वन माहि, ऐसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखे नाहि।” महान समाज सुधारक संत कबीरदासजी की इन पंक्तियों में एक गहन दार्शनिक सत्य छुपा हुआ है। जिस प्रकार हिरन की ...